तुम ....
हम इन्तेज़ार करते रहे तेरे लफ्जो का
तुम आखिरी पल तक खामोश नज़र आए
मुझे दामन में सिर्फ कांटे ही मिले
यूँ तो फूल के मौसम हर बरस आए
कोशिशो में वक़्त जाया किया मैंने
ये दर्द-ए-ख्याल हर पहर आए
रोज़ करते रहे सजदा खुदा के सामने
कभी तो मेरे अश्को पे उसे तरस आये
हम तूफानों से लड़ते रहे सदा
तेरे जाने के बाद ये दिल-ए-कहर आए
कितना हमने तुम्हे बताना चाहा
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