Tuesday, 30 April 2013

वो जो मुझमे है .....




मैं उसके चेहरे को दिल से उतार देता हूँ ,
मैं  कभी कभी तो खुद को भी मार देता हूँ |

ये मेरा हक है की मैं उसको थोडा दुःख भी दूँ ,
मैं चाहत भी तो उसे बेसुमार देता हूँ |

खफा वो रह नहीं सकती लम्हा भर भी ,
मैं बहुत  पहले ही उसको पुकार लेता हूँ |

मेरे सिवाए उसे कोई भी काम नहीं सूझता ,
वो जो भी करती है मैं सब हिसाब लेता हूँ |

वो नाज करती है मेरी कही हुई हर बात पर ,
वो जो भी कहती है मैं चुपके से मान लेता हूँ |



                                                            --   आशीष (जो लिखता है दिल से )



0 comments: